Friday, 28 March 2014

उठो लाल अब आँखे खोलो / द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी


उठो लाल अब आँखे खोलो 
पानी लाई हूँ मुँह धो लो

बीती रात कमल दल फूले 
उनके ऊपर भंवरे डोले 

चिड़िया चहक उठी पेड़ पर 
बहने लगी हवा अति सुंदर 

नभ में न्यारी लाली छाई 
धरती ने प्यारी छवि पाई 

भोर हुआ सूरज उग आया 
जल में पड़ी सुनहरी छाया 

ऐसा सुंदर समय न खोओ 
मेरे प्यारे अब मत सोओ

Thursday, 27 March 2014

हम में अधिकतर  लोग किसी भी राजनैतिक दल के कार्यकर्ता नहीं है पर अपने विवेकानुसार हम भाजपा , आप , कांग्रेस आदि दलो  पर अपना विश्वास जरुर रखते है। देश के लोकतंत्र की सेहत के लिए शुभ संकेत है कि हम जैसा माध्यमवर्ग जो प्राय: पिछले चुनावो तक तटस्थ या उदासीन था इस बार बढ़ -चढ़कर सोशल मीडिया के माध्यम से  अपने विचार व्यक्त कर रहा है..... क्रियाये -प्रतिक्रियाये  जारी रखे  .… हाँ सबसे जरुरी बात इस बार वोट अवश्य डाले।