प्रतिकर्षण
Friday, 31 May 2013
जेठ की एक दोपहरी
जेठ की एक दोपहरी
आम आदमी ने सोचा
चलो बच्चो के लिए आम खरीद लाएँ
पर फल के ठेले पे पहुँच
दाम सुन
उसे महंगाई की लू लग गई
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