Friday 10 May 2013

मत कहो आकाश में कोहरा घना है-दुष्यंत कुमार

मत कहो आकाश में कोहरा घना है
यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है !

सूर्य हमने भी नहीं देखा सुबह से
क्या करोगे सूर्य का क्या देखना है !

इस सड़क पर इस कदर कीचड बिछी है
हर किसी का पाँव घुटनों तक सना है !

पक्ष औं प्रतिपक्ष संसद में मुखर हैं
बात इतनी है की कोई पुल बना है !

रक्त वर्षों से नसों में खौलता है
आप कहते हैं क्षणिक उत्तेजना है !

हो गयी हर घाट पर पूरी व्यवस्था
शौक से डूबे जिसे भी डूबना है !

दोस्तों अब मंच पर सुविधा नहीं है
आजकल नैपथ्य में सम्भावना है !! --- (दुष्यंत कुमार)


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