प्रतिकर्षण
Sunday, 11 August 2013
हम में ही कुछ कमी रही होगी
तेरी नज़र यूहीं न फिरी होगी …
कल तक तो थे तुम
हमारे कायल कितने
खता हम से जरुर
बहुत बड़ी हुई होगी …
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment