प्रतिकर्षण
Sunday, 1 September 2013
जेबे भरी है ,बड़ी है
पर दिल छोटा है
मेरी तरक्की का
अब आलम यही है
इससे तो अच्छे थे
पुराने ग़ुरबत के दिन
जेबे खाली थी
और दिल बड़ा था
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