प्रतिकर्षण
Thursday, 12 March 2015
हम थे मसरूफ अपने
रोजमर्रा के कामों में
अपनी सहूलियतों के हिसाब से
तरजीह दे उनको निबटाने में
ख्वाहिशो की परवाज पे सवार
खुद की ही सोच
और सब से अनजान
इस बीच
पता ही नहीं चला
मां-बाप कब बूढ़े हो गए ?
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