चेहरे पे कई चेहरे देखे
हिसाब -ए -जरुरत
रंग बदलते देखे
हर बार ही, कितना टूटा मै
बेहसी के इतने मंजर देखे
उनको ही रही शिकायत हमसे
हम जो अपनी ही चीज मांग बैठे …
हिसाब -ए -जरुरत
रंग बदलते देखे
हर बार ही, कितना टूटा मै
बेहसी के इतने मंजर देखे
उनको ही रही शिकायत हमसे
हम जो अपनी ही चीज मांग बैठे …
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