हिन्दुस्तान में पढ़े-लिखे लोग कभी-कभी एक बीमारी के शिकार हो जाते हैं! उसका नाम "क्राइसिस ऑफ़ कांशस" है !… कुछ डॉक्टर उसी में ""क्राइसिस ऑफ़ फ़ैथ" नाम की एक दूसरी बीमारी भी बारीकी से ढूँढ निकालते हैं . यह बीमारी पढ़े-लिखे लोगो में आमतौर से उन्ही को सताती है जो अपने को बुद्धिजीवी कहते हैं और जो वास्तव में बुद्धि के सहारे नहीं, बल्कि आहार-निंद्रा-भय-मैथुन के सहारे जीवित रहते हैं ( क्योंकि अकेले बुद्धि के सहारे जीवित रहना एक नामुमकिन बात है)
इस बीमारी में मरीज मानसिक तनाव और निराशावाद के हल्ले में लम्बे-लम्बे वक्तव्य देता है , जोर-जोर से बहस करता है, बुद्धिजीवी होने के कारण अपने को बीमार और बीमार होने के कारण अपने को बुद्धिजीवी साबित करता है और अंत में इस बीमारी का अंत कॉफ़ी हाउस की बहसों में, शराब की बोतलों में, आवारा औरतों की बाँहों में, सरकारी नौकरी में और कभी कभी आत्महत्या में होता है
----------------------------------- राग दरबारी- श्रीलाल शुक्ल पृष्ठ १४७.....
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