#प्रेश्या , #खबररंडी , #presstitute यही तो प्रचलित संज्ञाएं हैं ना आजकल हमारी मीडिया के बारे में और हो भी क्यों न इन लोगो का आचरण ही ऐसा रहा है , मोदी सरकार के आने के पूर्व इनकी कोशिश थी कि वो न आ पाए और आने के बाद तो जैसे इनके सीने पर सांप ही लौटने लगे और अब यह इस मंशा से काम कर रहे कि वो चल न पाये ...
खबरनवीशो की एक पूरी जमात जुटी हुई है सामान्य जनभावना के खिलाफ रिपोर्टिंग और ख़बरें प्रसारित करने में , तिल का ताड बनाया जाता है, ताड़ का पहाड़ और फिर उसी पहाड़ पे चढ़कर गोले दागे जाते है , मोदी विरोध का आलम तो यह है कि उसके लिए राष्ट्र विरोध भी मंजूर है , अंग्रेजी पत्रकारिता जिसका दायरा भारत में तो सीमित है का स्तर तो और भी निम्नकोटि का है , कुछ एक चैनल को देख के ऐसा लगता है मानो वो पाकिस्तान से प्रसारित हो रहे हो , अंतर्राष्ट्रीय पटल पे भारत की छवि धूमिल करना ही इनका एकमात्र मकसद है....
किसी भी संस्थान को चलाने का एक अर्थतंत्र होता है , उसको समझिए , उसी को चिन्हित कर प्रहार कीजिये , ये लोग सिर्फ पैसे की भाषा समझते है उसे पे चोट कीजिये ,खाली गुस्सा करने या खिस्याने से काम नहीं चलेगा...
अगर आप किसी न्यूज़ चैनल से इत्तेफाक नहीं रखते तो केवल उसको न देखने भर से आप का कार्य संपन्न नहीं हो जाता , ये भी सुनिश्चित कीजिये कहीं आप उसके लिए अपने केबल या डी टी एच ऑपरेटर को पैसे तो नहीं दे रहे , आपके घर आपके ड्राइंग रूम में आकर आपको मुंह चिढ़ाने वाले पत्रकारों के कार्यक्रम यू ही नहीं बन जाते , उनके पीछे प्रायोजकों का पोषण होता है , ऐसे प्रायोजकों के पहचानिए और उनके सामान का बहिष्कार कीजिये , उन उत्पादों को अपनाइए जिनका आपके दिल को जलने वालो से कोई गठजोड़ नजर नहीं आता , उपभोक्ता आप है और इस बाजारवाद चुनने की शक्ति आपके हाथ है ,आप सर्वशक्तिशाली हैं.... आमिरखान और शाहरुख़ खान के उदाहरण आपके सामने हैं , गंद फ़ैलाने का खामियाजा जब पैसो के रूप में भरा तो कैसे मिमयाने लगे....
अंगेजी भाषा के अख़बार जो अपने शीर्षकों और मुख्य पृष्ठ पे जगह देने के लिहाज से हमारे राष्ट्र और राष्ट्रभावना के लिए तंगदिल नज़र आते है उनको उपयोग पढ़ने के लिए नहीं टॉयलेट के टिश्यू पेपर की तरह ही करे और इस भ्रान्ति का त्याग करे कि अंग्रेजी का अख़बार और न्यूज़ चैनल बच्चों की अंग्रेजी अच्छी करने के लिए जरुरी हैं इसके लिए और भी बतरे श्रेष्ठ तरीके हैं उन्हें अपनाए , चली आ रही गलत मान्यताओं के त्याग का समय है , अंग्रेजी सुधारने के चक्कर में संस्कारो को प्रदूषित न होने दे....
समाज में हो रही घटनाओं पे अपने दृष्टिकोण के समर्थन और पोषण हेतु इस दलाल मीडिया से आशा न रखें, वो हर हाल में अपना एजेंडा ही चलाएंगे , घटनाओं को उसी तरह से दिखाया जायेगा जैसे उनके आका बताएँगे , इन सब को देख और सुन अपना दिल न जलाए , अपनी बात कहने और भड़ास निकालने के लिए सोशल मीडिया जैसा सशक्त माध्यम का इस्तेमाल करें , मुखर हो पुरजोर तार्किक तरीके से अपनी बात रखें ,सत्य को परेशान किया जा सकता है पराजित नहीं...
घर के सात्विक खाने का आनंद लें रोज ज्यादा चटपटा खाने से हाजमा ख़राब होने का भय रहता , ८ से ९ काम से काम एक घंटा दूरदर्शन समाचार जरूर देखें , मुल्क में बहुत कुछ उम्दा भी हो रहा है.....
जो दिखता है वही बिकता से उलट , जो बिकता है वही दिखता को समझिए , अपने अंदर मौजूद उपभोक्ता की हनुमान रूपी शक्ति का जगाइए , एक बार बस ठान लीजये ये खबर व्यापारी आपका चरण वंदन न करें तो बताईएगा ...
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