स्वस्थ परंपरा का निर्वाहन
मानव जीवन की अमूल्य निधि है और आज इसी का निर्वाह हो रहा है , Prof की इस
पूर्व संध्या पे सभी वरिष्ठ अपने हाथो में कुछ न कुछ लिए हुए, शुभकामनाएँ व्यक्त करने हेतु अपने
कनिष्ठों के कक्षों की ओर अग्रसर हैं , तनाव से संतृप्त हो चुके इस BH में थोड़ी देर
के लिए ही सही मौज-मस्ती
की बयार फिर से चलने लगी है , फिर से
चुहलबाज़ी आरम्भ है.
तनाव मुक्त रहने और exams को फोड़
देने की बातो -अश्वाशनो के बीच Study
table पर मिष्ठान , पान , चॉक्लेट , सिगरेट , पान मसाले , फ्रूटी , कोल्ड ड्रिंक्स आदि का
अम्बार लग गया है .... साफ़, स्पष्ट
और बड़ा सन्देश एक ही है
- प्रश्नपत्र में पूछा गया कोई भी प्रश्न निरुत्तर नहीं छोड़ना है, आता
हो तो कायदे से लिखो और अगर
नहीं आता हो तो और भी कायदे
से..... प्रश्न छोड़ देना ही असफलता की पहली निशानी है -ये बात कतई गाँठ बाँध के रख
लो.....
इस रात
की सुबह नहीं , हमेशा
रौनको से गुलज़ार रहने वाला यह छात्रावास , फ़िलहाल संजीदा है ,
सभी लोग अपनी रणनीति के अनुसार पढाई या अन्य किसी कारगुजारी में
तल्लीन है , कोई सुबह
जल्दी उठने के भरोसे alprax खा के
जल्दी सो गया है तो कुछ योद्धा अभी भी डटें हुए है , सब कुछ समेट के ही सोयेंगे , सुबह जल्दी उठने का जोखिम
नहीं लिया जा सकता... अगर न उठ पाये तो.....???? :)
सूर्यादय
से पहले ही कई लोग जग चुके है ,
कमरे से चाय , कॉफ़ी
बनने की महक व आवाजें आ रही हैं ,
परस्पर जाहिल आचरण करने वालो में आज सभ्यता अपने चरम पे है , एक दूसरे की जरूरते पूछी जा
रही है और उनका
यथा संभव तुरंत निराकरण भी हो रहा … मोहन प्यारे हाथ coffee
Mug थामे मुझे
देने मेरे पास आये और मै लबो पे दबी सिगरेट और हाथो में थामी रंगीन -पुती और underlined किताब
होने के वजह से उन्हें अपने नेत्रों के माध्यम से अपनी कृतज्ञता व्यक्त कर रहा हूँ और साथ
ही साथ अपनी दयनीय स्थिति भी...
नाश्ता
समय से कमरे पे ही आ गया है , राजमन को
मालूम साहब लोगो के दुर्दिन चल रहे है , गलती की सुई की नोक के बराबर भी गुंजाइश नहीं.… पराठा जल्दी से गोल कर के
निगल लिया गया है , चाय आधी
ही पी और आधी छोड़
दी गयी है.… और दिनों
इत्मीनान से घंटो में होने वाला काम आज चंद मिनटो में ही निबट गया है
जरूरते
और परिस्थितियाँ मानव को
कितना कार्य कुशल बना ही देती है , श्रम की सीमा तो व्यक्ति और शरीर तय कर देता है पर आलस्य
तो विकराल है , विशाल है , सिंधु सदृश्य
....
अपने-अपने असलहो (पेन-पेन्सिल
,स्केच
पेन , मार्कर्स और कई
कीन कुमारो की ये फेहरिस्त कुछ ज्यादा ही लम्बी है ) को समेट सभी योद्धा युद्धभूमि (Examination Hall) जाने को
अब तैयार है अनेक अनिश्चताओ को अपने जेहन में लिए हुए .…
हॉस्टल
के गेट पे उत्सव सा माहौल है ,
जूनियर्स टीके की थाली लिए हुए पूरे जोशो-खरोश के साथ मौजूद है
, आते- जाते सीनियर्स भी रुक गए है तो कुछ ऊपर की wing से नीचे झांक रहे है .… सभी
योद्धाओ (परीक्षार्थियों
) ललाट पे
अंगूठे से अक्षत युक्त तिलक
लगाया जा रहा है,"यावत
गंगा कुरुक्षेत्रे " का मंत्रोच्चारण है , विजयी भव -विजय भव का शोर
गुंजायमान है और साथ
के साथ कॉलेज आरम्भ होने के समय से चलते आ रहे MKB के नारे भी …समस्त गुरुवर लोगो का
स्मरण है , कुछ को
तो हिचकियाँ अवश्य ही आ रही होंगी ...
हमारी हर
स्वस्थ प्रथा के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक कारण अवश्य है..... अंत समय तनाव
से निजात दिलाने का इससे उत्कृष्ट उदहारण मैंने आज तक नहीं देखा , अब उल्लास, डर पे हावी है .... सारी
आशंकाओ का अब समाधान सा प्रतीत हो रहा है , विषाद खत्म.हो चुका है ... अब जो भी होगा देख लेंगे की सोच के साथ हम सभी अपने गंतव्य यानी परीक्षा
कक्ष की तरफ प्रस्थान कर रहे है.…
चूँकि ये
लिखित परीक्षा है अतः समस्त बालक परीक्षार्थी जो मन आया वो पहन के आये है , बाल बिखरे और दाढ़ी बड़ी हुई
है , चेहरे पे कितने बेचारगी वाले भाव है , मस्त-मलंग दबंग आज कितने
दीन-हीन और मलीन है ...
बालिकाओं में आज जरूर
एकरूपता है ....सभी apron पहन के जो आयीं हैं....
प्रश्नपत्र बांटा जा रहा , बगल की सीट वाले सहपाठी/सहपाठिन से खुसर-पुसर
जारी है , मदद के वादों के मध्य मौन भी कितना मुखर है आज , शब्द गौण है ,
भाव-भंगिमायें जो कितना कुछ व्यक्त कर रही है...
डर और अनेक आशंकाओ के बीच प्रश्नपत्र आंखिरकार हाथ में आ ही
गया ,इष्टदेव का स्मरण कर उसको पढना चालू कर दिया है और साथ ही साथ अपनी औकात को
तोलना भी ... मिश्रित से भाव है पर लगता है इससे निबट ही लेंगे। समय और कलम की
जद्दोजेहद जारी है , अपनी तो पहली कॉपी ही नहीं भरी और मेजर बाबू ने दूसरी B कॉपी
मांग ली है , सोच के साथ कोफ़्त भी है के ससुरा इतनी तेजी से लिख क्या रहा है ?
मानव सबंध बड़ा ही विकट विषय है , आवश्यकता तो अविष्कार की
जननी है, और समय की मांग भी यही है इसलिए उन
बालक –बालिकाओं के बीच भी आज इशारे-बाज़ी और मान-मनोव्वल जारी है जिन्होंने इससे
पूर्व शायद ही कभी आपस राबता कायम किया हो और इससे आगे भी शायद ही करे .... खीज , हर्ष , मातम और
अहमकाना हरकतों के बीच फिलहाल कॉपी भरना
जारी है ....
Invigilator अध्यापक के आंखिर पांच मिनट के चेतावनी के मध्य में अपनी
उत्तर पुस्तिकाओं को नत्थी करने में मसरूफ हूँ , पर कुछ योधाओ और वीरांगनाओ की अंत समय की fire fighting अब भी जारी है उन महत्वपूर्ण ५० प्रतिशत अंको के लिए....
अगले paper से पहले कल एक दिन का gap है इसलिए हम साथियों का कारवां
अब चल दिया है कोपरेटिव की ओर... चाय की चुस्कियो और सिगरेट के कशो के बीच
अपने-अपने फैलाये गए रायते पे विचार-विमर्श करने ...
जोड़ो के गुनगुनी खिली धूप में आपस खेलते हुए कुत्ते के बच्चो को देख कितना ईर्ष्या भाव है और उनकी मस्ती के बीच अपनी हालत पे कितना तरस .... :(
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