बहने कितना जुड़ी रहती परस्पर
अपनी क्षमताओं से अधिक
एक दूसरे के लिए
करने को रहती तत्पर
ससुराल देता पहचान नयी
महक सारी बाबुल के आँगन की लेकर
पर ये पोषित करती रहती
हर एक सम्बन्ध
नए-पुराने का अंतर खोकर
जब तक माँ तब तक पीहर
ये बात समझती बेहतर
जब भी मिलती
चहकती भोर की चिड़यों जैसी
नहीं दिखता इनमें कोई अंतर
बहने कितना जुड़ी रहती परस्पर
अपनी क्षमताओं से अधिक
एक दूसरे के लिए
करने को रहती तत्पर
ससुराल देता पहचान नयी
महक सारी बाबुल के आँगन की लेकर
पर ये पोषित करती रहती
हर एक सम्बन्ध
नए-पुराने का अंतर खोकर
जब तक माँ तब तक पीहर
ये बात समझती बेहतर
जब भी मिलती
चहकती भोर की चिड़यों जैसी
नहीं दिखता इनमें कोई अंतर
बहने कितना जुड़ी रहती परस्पर
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