कहते है नाम मे क्या रखा ? अजी सिर्फ कहते ही है, असल में नाम में ही तो सबकुछ रखा है , जिसे देखो वो ही तो brand conscious है , brand की चेपी चिपकने से फालतू सी लगने वाली चीज भी अमूल्य है.… लोग बिना कुछ सोचे समझे उसके पीछे दौड़े चले जाते है.... एक भेड़ चाल है सब आँखे मूंदे चल रहे है ,पीछे चलने वाली भेड़ो को मालूम ही नहीं कि आगे चलने वाली भेडे गड्डे में गिर रही है और जो गड्डे में गिर रहीं वो चाप खुद को झाड पोझ के पतली गली से निकल लेती है , दूसरो को कुछ भी बताने की जहमत ही नहीं उठातीं...
'PK' को देखने के बाद कुछ ऐसा ही महसूस हुआ … मुन्ना भाई MBBS , लगे रहो मुन्ना भाई और थ्री इडियट्स जैसी बेहतरीन फिल्म बनाने वाले राजकुमार हीरानी की इस फिल्म से हमने कुछ ज्यादा ही उम्मींदे लगा रखी थी.…
पूरी फिल्म बिखरी -बिखरी नज़र आई , बहुत कुछ कहने की कोशिश में कुछ भी न कह पाई और मुझे पूरी फ़िल्म में यही इन्तेजार रहा कि अब कुछ अच्छा नज़र आएगा …
पूरी फिल्म बिखरी -बिखरी नज़र आई , बहुत कुछ कहने की कोशिश में कुछ भी न कह पाई और मुझे पूरी फ़िल्म में यही इन्तेजार रहा कि अब कुछ अच्छा नज़र आएगा …
विषय वाकई उम्दा उठाया गया था पर कहने का ढंग बिलकुल ही अप्रभावी लगा , बहुत से मौको पे फिल्म की कहानी अपने व्यावसायिक हितो को साधती नज़र आयी, मसलन आमिर का एलियन होना , उसका भोजपुरी बोलना , शुरू और अंत में प्रेम कहानी में पाकिस्तानी ऐंगल होना आदि...
कुछ पुराने चुटकुलो से प्रेरित और कुछ न पचने वाले (DANCING CAR ) सन्दर्भ लिए कहानी मौलिकता और विश्वसनीयता से कोसो दूर भटकती नज़र आई.कई श्रेष्ठ कलाकारों से सजी होने के बावजूद आमिर के अलावा किसी को कुछ करने को मिला ही नहीं , बोमन ईरानी ने पता नहीं क्यों की.… पिछला कर्ज या फिर आगे का जुगाड़ लगाना शायद उनके दिमाग में रहा हो...
मै हिन्दू हूँ , पढ़ा लिखा हूँ , मेरा धर्म , मेरी आस्था, मेरा विषय है , अन्धविश्वासी नहीं हूँ पर रोज के होते कई क्रियाकलापों और रीतिरिवाजों को मैं अपने जीवन का अभिन्न अंग मानता हूँ और इस तरह से जीने का तरीका ही मुझे काफी हद तक उदार दिल और सहिष्णु बनाता है.…
जीवन के इस पड़ाव पे केवल चुनिंदा फिल्म देखने वाला मैं आगे से हीरानी साहब की किसी भी फिल्म को पैदा की कई कृत्रिम hype में बह के तो कम से कम देखने तो नहीं जाऊंगा...
मेरी नजरों में परेश रावल और अक्षय कुमार अभिनित ‘OH MY GOD’ इस विषय पर इससे लाख दर्जा बेहतर फिल्म है ...
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