कई क्रियाओ , प्रतिक्रियाओ की यह उद्गम स्थली है , तमाम निषेधों से परे , रुचिकर्मो की भरमार है यहाँ , नित्य नए उत्पातों की प्रयोगशाला है ये तो , हॉस्टल की ज़िन्दगी है ही कुछ ऐसी ...बेखौफ , बेलगाम , बिंदास ...
राजमन कल की तैयारी पूरी हैं ना ... बाबा का काम है .... सबकुछ बढ़िया से होना चाहिए ..कोई कमी-बेसी नहीं रहनी चाहिए ... शिवरात्रि से एक दिन पूर्व हिसाब बताने आये कुक को यही तो मेरा स्पष्ट निर्देश था ....
साहब आप चिंता न करो ,सब अच्छे से होगा , आप कल खुद देख लीजियेगा , थोडा मेवा लाना रह गया है ,सुबह को-ऑपरेटिव से जुगाड़ होई जाई ... हिसाब के तेल के धब्बो से युक्त रजिस्टर को बंद करते हुए राजमन मुस्कुराते हुए बोला ...
आज महाशिवरात्रि है, मतलब छुट्टी का दिन .... हम जनवरी , फरवरी करने वाले क्या जाने, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी... ? हम तो सिर्फ इतना जानते है कि आज भोले बाबा के नाम पे मेस में जमकर भंग घुटेगी , ठंडाई छनेगी और खूब बटेगी .... ये तो प्रसाद है सब को मिलेगा , मेस मेम्बर होना न होना मायने नहीं रखता ...
सुबह देर से उठे , नाश्ता भी निबटा चुके है , आज थोडा सभ्य आचरण कर लिया , त्यौहार होने के नाते पहले नहा लिया फिर खाया पर कुछ परम भक्त लोग तडके उठ के , घंटो लाइन में लग ,परमठ जा बाबा को जल चढ़ा आये है, घनघोर श्रद्धा है जनाब जिसके आगे सरे कष्ट तुच्छ ...
कुछ सीटियाबाज टाइप लौंडे कॉलेज कैंपस के अन्दर बने शिव मंदिर के आस-पास अपनी-अपनी मोटर-साइकिलो पे मंडरा रहे है , सुबह-सुबह नाही धोयी अपने बैच की लड़कियों के खुले गीले बालो से टपकते मोतियों के उनके कंधो पे गिरने से उत्पन्न सौदर्य का आनंद लेने ..... जी भर देख लेने के बाद भी अनदेखा कर देने में कितने निपुण है ये नवयुवक ...
अजीब सी शांति और बेचैनी है , दिन की ग्यारह बज चुके है , ठंडाई अभी तक तैयार नहीं हुई है ,मेस के सिलबट्टे पे भांग की घुटाई चालू है , राजमन पूरी तन्मयता के साथ जुटा पड़ा है और हम जैसे अधीर प्रश्नकर्ताओ से कह रहा है “ जब अच्छी तरह घुटी , तभिये तो मजा आई साहिब ... हरे हाथो से सर के बाल हटाते हुए अजब चमक है उसके चेहरे पे आज ...
लो आंखिर कर तैयार हो ही गयी , भांग की ठंडाई से भरे स्टील के गिलास को थाम ही लिया हाथो में ,
ये प्रथम बार है इसलिए थोड़ी हिचकिचाहट भी है पर प्रयोगी उम्र सब पे भारी, एक आध घूट मारने के बाद अब जिज्ञासा शांत है , हलकी कालीमिर्च का तीखापन लिए ये पेय पदार्थ वाकई स्वादिष्ट बना है ...
हलक से नीचे पूरा गिलास उतर चुका है , कुछ होने / लगने की प्रतीक्षा है , पर कुछ हो नहीं रहा इसलिए हर हर महादेव के जयकारे के साथ दूसरा गिलास भी अन्दर ....
तभी ऊपर वाली विंग से शोर आता हुआ सुनायी दिया , कालू आग लगी है करके जोर जोर से चिल्ला रहा है , एक दो कमरों में बाल्टी भर के पानी भी उड़ेल चुका है , गुरुदेव सबको HARRISON खोल के पढ़ा रहे है , मैकू के हाथ दीवार से चिपक चुके है , सैंडी की हंसी रुकने का नाम ही ले रही , दो चार कंटाप खाने के बाद और तेज हो जाती है ...
गुरुदेव को ज्यादा हो गयी मगर खुराफाती लौंडो ने एंटी-भांग के नाम पे और भांग खिला दी और उनके शुभचिंतक मित्र उन्हें दौड़ा के इमरजेंसी ले गए है , गुरुदेव का वही क्रियाकलाप जारी है , माँ बहन को याद करने के साथ अब वो JRS को HARRISON पढ़ा रहे है , बडके यादव हवा में उड़ रहे है और छुटके उनको जमीन में लाने की असफल कोशिश...
चारो ओर अफरातफरी का माहौल है , कोई राकेट बन गया तो कोई पेड़ ,
एक महाशय दस बार नहा चुके है , रही सही कसर जूनियर्स ने पूरी कर दी, दस बालको की ट्रेन दौड़ रही है हॉस्टल में और वो भी पूरे साउंड इफ़ेक्ट के साथ
और इन सब के बीच ...अरे मै कहाँ हूँ ??? हां याद आया न रुकने वाली हंसी के साथ तीन बार को-ऑपरेटिव जा कर बंद मक्खन /समोसा खा चुका और फिर भी जोर जोर से हँसते हुए हर एक से बोल रहा हूँ .... यार बहुत भूख लगी है कुछ खिला दे ....
राजमन कल की तैयारी पूरी हैं ना ... बाबा का काम है .... सबकुछ बढ़िया से होना चाहिए ..कोई कमी-बेसी नहीं रहनी चाहिए ... शिवरात्रि से एक दिन पूर्व हिसाब बताने आये कुक को यही तो मेरा स्पष्ट निर्देश था ....
साहब आप चिंता न करो ,सब अच्छे से होगा , आप कल खुद देख लीजियेगा , थोडा मेवा लाना रह गया है ,सुबह को-ऑपरेटिव से जुगाड़ होई जाई ... हिसाब के तेल के धब्बो से युक्त रजिस्टर को बंद करते हुए राजमन मुस्कुराते हुए बोला ...
आज महाशिवरात्रि है, मतलब छुट्टी का दिन .... हम जनवरी , फरवरी करने वाले क्या जाने, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी... ? हम तो सिर्फ इतना जानते है कि आज भोले बाबा के नाम पे मेस में जमकर भंग घुटेगी , ठंडाई छनेगी और खूब बटेगी .... ये तो प्रसाद है सब को मिलेगा , मेस मेम्बर होना न होना मायने नहीं रखता ...
सुबह देर से उठे , नाश्ता भी निबटा चुके है , आज थोडा सभ्य आचरण कर लिया , त्यौहार होने के नाते पहले नहा लिया फिर खाया पर कुछ परम भक्त लोग तडके उठ के , घंटो लाइन में लग ,परमठ जा बाबा को जल चढ़ा आये है, घनघोर श्रद्धा है जनाब जिसके आगे सरे कष्ट तुच्छ ...
कुछ सीटियाबाज टाइप लौंडे कॉलेज कैंपस के अन्दर बने शिव मंदिर के आस-पास अपनी-अपनी मोटर-साइकिलो पे मंडरा रहे है , सुबह-सुबह नाही धोयी अपने बैच की लड़कियों के खुले गीले बालो से टपकते मोतियों के उनके कंधो पे गिरने से उत्पन्न सौदर्य का आनंद लेने ..... जी भर देख लेने के बाद भी अनदेखा कर देने में कितने निपुण है ये नवयुवक ...
अजीब सी शांति और बेचैनी है , दिन की ग्यारह बज चुके है , ठंडाई अभी तक तैयार नहीं हुई है ,मेस के सिलबट्टे पे भांग की घुटाई चालू है , राजमन पूरी तन्मयता के साथ जुटा पड़ा है और हम जैसे अधीर प्रश्नकर्ताओ से कह रहा है “ जब अच्छी तरह घुटी , तभिये तो मजा आई साहिब ... हरे हाथो से सर के बाल हटाते हुए अजब चमक है उसके चेहरे पे आज ...
लो आंखिर कर तैयार हो ही गयी , भांग की ठंडाई से भरे स्टील के गिलास को थाम ही लिया हाथो में ,
ये प्रथम बार है इसलिए थोड़ी हिचकिचाहट भी है पर प्रयोगी उम्र सब पे भारी, एक आध घूट मारने के बाद अब जिज्ञासा शांत है , हलकी कालीमिर्च का तीखापन लिए ये पेय पदार्थ वाकई स्वादिष्ट बना है ...
हलक से नीचे पूरा गिलास उतर चुका है , कुछ होने / लगने की प्रतीक्षा है , पर कुछ हो नहीं रहा इसलिए हर हर महादेव के जयकारे के साथ दूसरा गिलास भी अन्दर ....
तभी ऊपर वाली विंग से शोर आता हुआ सुनायी दिया , कालू आग लगी है करके जोर जोर से चिल्ला रहा है , एक दो कमरों में बाल्टी भर के पानी भी उड़ेल चुका है , गुरुदेव सबको HARRISON खोल के पढ़ा रहे है , मैकू के हाथ दीवार से चिपक चुके है , सैंडी की हंसी रुकने का नाम ही ले रही , दो चार कंटाप खाने के बाद और तेज हो जाती है ...
गुरुदेव को ज्यादा हो गयी मगर खुराफाती लौंडो ने एंटी-भांग के नाम पे और भांग खिला दी और उनके शुभचिंतक मित्र उन्हें दौड़ा के इमरजेंसी ले गए है , गुरुदेव का वही क्रियाकलाप जारी है , माँ बहन को याद करने के साथ अब वो JRS को HARRISON पढ़ा रहे है , बडके यादव हवा में उड़ रहे है और छुटके उनको जमीन में लाने की असफल कोशिश...
चारो ओर अफरातफरी का माहौल है , कोई राकेट बन गया तो कोई पेड़ ,
एक महाशय दस बार नहा चुके है , रही सही कसर जूनियर्स ने पूरी कर दी, दस बालको की ट्रेन दौड़ रही है हॉस्टल में और वो भी पूरे साउंड इफ़ेक्ट के साथ
और इन सब के बीच ...अरे मै कहाँ हूँ ??? हां याद आया न रुकने वाली हंसी के साथ तीन बार को-ऑपरेटिव जा कर बंद मक्खन /समोसा खा चुका और फिर भी जोर जोर से हँसते हुए हर एक से बोल रहा हूँ .... यार बहुत भूख लगी है कुछ खिला दे ....
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