शहर की चकाचौंध ,शानोशौकत आबाद है
बस चंद मीलों की दूरी तक इसकी मियाद है
हाईवे पे टंगी शुक्रिया ए तशरीफ ने बता दिया मुझे
तरक्की और खुशहाली की सीमा अब समाप्त है
पुआल के छप्परो से निकलता धुआं तलशता हर रोज
वो कहते सूबे की सत्ता पे काबिज समाजवाद है
लुटे ,पीटे फीके चेहरे कर रहे है हक़ीकत बयां
दारुल ए हुकूमत के तरक्की के दावे सिर्फ मिराज हैं
बाड़ ही खाये जा रही रफ्ता-रफ्ता खेतो के यहाँ
और इश्तिहारों में चहुमुखी विकास का शोर बेहिसाब है
बस चंद मीलों की दूरी तक इसकी मियाद है
हाईवे पे टंगी शुक्रिया ए तशरीफ ने बता दिया मुझे
तरक्की और खुशहाली की सीमा अब समाप्त है
पुआल के छप्परो से निकलता धुआं तलशता हर रोज
वो कहते सूबे की सत्ता पे काबिज समाजवाद है
लुटे ,पीटे फीके चेहरे कर रहे है हक़ीकत बयां
दारुल ए हुकूमत के तरक्की के दावे सिर्फ मिराज हैं
बाड़ ही खाये जा रही रफ्ता-रफ्ता खेतो के यहाँ
और इश्तिहारों में चहुमुखी विकास का शोर बेहिसाब है
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