Friday, 16 February 2018

रीयूनियन ...

देखों पलभर में बीते पच्चीस  साल 
आज मिलके हुआ कितना सुखद अहसास... 

लगता है कल की ही बात थी 
एडमिशन वाले दिन
कितने नए चेहरे दिखे  थे 
डरे, मुस्कुराये कितने खुश हम लगे थे ..
कोल्ड ड्रिंक पेटिस ,पेस्ट्रीज
सीनियर्स ने ही सर्व किये थे ...
उस विशाल कक्ष में 
कितने गरिमामयी क्षण हमने जिए थे ....

साथ-साथ गुजरे वो जीवन के बेहतरीन साल 
नए मित्रो के संग हुई  धमाचौकड़ी बेमिसाल ...

सुबह  सुबह ८ बजे के लेक्चर के लिए रेस
बिना नाश्ते किये  हम  कदम बढ़ाते तेज 
पहले gross बनाने के लिए कितनी मेहनत की 
अक्ल आयी तो ट्रेसिंग पेपर की मदद ली.. 

frog पिथिंग ने कितना डराया 
hemat lab में दूसरे के खून से काम चलाया 
DH ने कुछ देखने की जद्दोजेहद ने 
कितना मजमा लगाया 
पहले पार्ट VIVA ने हाय कितना डराया ...

पहले टर्मिनल में हुए  हम फेल 
साथी की समान स्थिति देख 
नहीं हुआ ज्यादा खेद ...

पहला प्रोफ पास करने में 
जंग जीतने जैसा अहसास 
HONEYMOON प्रोफ का आगमन 
बेहद खास 
चूरन चटनी (फार्मेसी लैब ) में 
पके कितने सम्बन्ध 
माइक्रो लैब में DR LOA का 
कर्फ्यू माफिक प्रबंध 

PATHO की स्लाइड्स 
अबूझ पहली लगे 
फॉरेंसिक में पहला POSTMORTEM देख 
हम सिहर उठे 

SPM ने गाँव गाँव घुमाया 
तो  कभी संडास , मक्खी, मच्छर 
में उलझाया ...

फाइनल प्रोफ की कुछ अजब ही थी कहानी 
सीनियर मोस्ट होने के साथ रिस रही थे जवानी 
पढाई का विकराल पहाड़ सर पे खड़ा था 
डॉक्टर बन जाने की आस परिवार कर रहा था 

और हमको मालूम थी अपनी औकात 
किसी तरह पास हो लगे न कोई दाग 
वार्ड पोस्टिंग, CASE PRESENTATON ने 
कितना कहाँ कहाँ  नहीं  दौड़ाया 
रूम पार्टनर का स्कूटर कितना काम आया 

याद है न वो प्रोफ से पहले 
CASE, INSTRUMENT के लिए भागा दौड़ी 
EXAMS की वो काली रातें व
वो ALPRAX की गोली 

लड़कियों ने तो घर से 
अपनी-अपनी मम्मियों को बुलाया 
लडको सुट्टे ,चाय कॉफ़ी से काम चलाया 


डरते सहमे सकपकाते 
VIVA में क्या क्या नहीं 
गुल खिलाया ...
इन सारे किस्सों ने हमे 
पीढ़ी दर पीढ़ी हसाया...

इंटर्नशिप आते आते 
बिछड़ने लगे संगी साथी 
कुछ ने थामी किताबे 
कुछ ने कर ली शादी ..


फिर छूट गयी जीवन की आपाधापी में 
वो शनिवार की रातें 
वो MEDIFEST की मस्ती 
वो HOSTEL लाइफ की तमाम सौगाते 

वो फैशन शो ,स्पोर्ट्स मीट  AIIMS PULSE, 
दूर छूटे पड़े है 
तमाम जिम्मेवारी लादे हम 
सिर्फ नोट गिन रहे है 
नोट गिन रहे है


“सोचा था खरीद लूँगा तमाम खुशियाँ  पैसे कमा के 
पर मुद्दतो बाद यारो से मिला तो सारा भरम जाता रहा “


 मिले है तो ऐसे मिले की फिर छूट न पायें 
मै, तू को छोड़ २५ साल पहले के हम हो जायें 











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