Saturday, 17 February 2018

दीदी का रिश्ता तय हुआ हर्षोल्लास है
तीसरी पीढ़ी के पाणिग्रहण की शुरुआत है
चारो ओर से आ रहे बधाई सन्देश
सबको सम्मलित करने का है प्रयास विशेष

कुल पुरोहित को बुला शुभ मुहूर्त निकला
बच्चो की परीक्षाओ ने व्यवधान डाला
बड़ी माथापच्ची के बाद तिथि हुई तय
कोई नाराज न हो जाए सता रहा भय

कार्तिक पूर्णिमा के अगले दिन शुभ-विवाह है
खाना-पीना,कपड़े जेवर की न ख़त्म होती चर्चा है
बारात के स्वागत सत्कार ,ठहराने का उचित प्रबंध है
पिताजी का इस शहर हर एक से मधुर संबंध है

अब वो उलझे है ,खर्चो की जोड़,गुणा भाग में
FD तोड़ने,provident fund से loan लेने के विचार में
पुत्री के पिता होने की जिम्मेदारी बड़ी है
अच्छी तरह निभ जाए , माँ प्रार्थना कर रही है

इन चिन्ताओ से दूर, नव-युगल अलग ही रमे हैं
रात भर चलती बातों से, टेलीफोन बिल कितने बड़े है
कार्ड,खतो, उपहारों का सिलसिला अब शुरू है
रूठने-मनाने के क्रम में ,दोनों का मन भीरु है






क्षण ,पहर ,दिन मास बीते
बीत गया  समस्त अन्तराल
विवाह दिवस निकट आ पहुँचा
अपूर्ण छूटे काज लगे विकराल   

धैर्य हरे कोलाहल मचाये
सब कर रहे दौड़ भाग
किसी का निमंत्रण पत्र छूटा
लग रहे नित्य नई शिकायतों के अंबार

बड़े-बूढ़े कहते है-
कन्या विवाह होते होते ही होता
तैयारी पूर्ण न होती अंतिम पहर तक
वधू-पक्ष चैन से कब सोता है ?

गणेश पूजन से शुरू हुआ यह मंगल कार्य
हाथ जोड़ विनती कर रहे माँ-पिताजी एकसाथ
नहा धो साड़ी पहने दीदी का नया रूप आज
मंत्रोचारण के मध्य अतिथि आगमन लगातार

धूप-दीप प्रज्वल्लित गूंजे शंखनाद
समस्त देवी-देवता नमन,विघ्न हरो करतार
घंटी ध्वनि संग विधिवत आरंभ विवाह-संस्कार
अनुभवी महिलओं के सुपुर्द समस्त रीत-रिवाज






रसोईघर मचे घमासान मध्य विविध नवैद्य तैयार
प्रतिक्षण लगती रहती यहाँ देखो चाय की पुकार
दक्ष स्त्रियों के श्रम से सुरभित यह कार्यक्षेत्र आज
जलते चूल्हे संग अनवरत चलता इनका हास-परिहास

चाय की चुस्कियों लेती महरी सम्मुख
लगता रहता झूठे बर्तनों का अंबार
बिना शिकायत इस दुर्बल काया को
माँ से उचित ईनाम की दरकार ...

रौनक घर के बड़ी ,अनुपम अतिथि सत्कार
ढोल-गीतों संग गूंजे लयबद्ध करताल
नाचे घर के बड़े-बूढ़े ,अद्भुत, दिव्य यह अहसास
पीहर छोड़ चली लाड़ली अब अपने सौरास...



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