Friday, 22 August 2014

अच्छे -बुरे का भेद एक व्यापक चर्चा का विषय है। देश , काल ,रीति और समाज के अनुसार ये परिभाषित होता रहा है और आगे भी होता रहेगा। हमारी हिन्दू सनातन धर्म के परंपरा के अनुसार मांस- मदिरा का सेवन हमेशा से ही बुरा और निषेध माना गया है और इसके लिए किसी दिन या महीने के कोई विशेष छूट नहीं। समय के अनुसार लोगो की खान-पान की आदते बदली है और नई पीढ़ी तो हमेशा से ही प्रयोगात्मक रही है। स्वनिर्मित ये अल्पकालिक निषेध शायद उस अपराधबोध को कम करने में थोड़े बहुत सहायक होते है जो हमें इन वर्जित माने गए  कार्यो को करने के बाद  होता है … और भईया Liver भगवान ने एक ही दिया है उसे भी तो थोडा बहुत आराम चाहिए ना 

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