Wednesday 24 September 2014

स्वस्थ परंपरा का निर्वाहन मानव जीवन की अमूल्य निधि है और आज इसी का निर्वाह हो रहा है , Prof की इस पूर्व संध्या पे सभी वरिष्ठ अपने हाथो में  कुछ न कुछ लिए हुए, शुभकामनाएँ व्यक्त करने हेतु  अपने कनिष्ठों के कक्षों की ओर अग्रसर हैं , तनाव से संतृप्त हो चुके इस BH में थोड़ी देर  के लिए ही सही मौज-मस्ती की बयार फिर से चलने लगी है , फिर से चुहलबाज़ी आरम्भ है.

तनाव मुक्त रहने और exams को फोड़ देने की बातो -अश्वाशनो के बीच Study table पर मिष्ठान , पान , चॉक्लेट , सिगरेट , पान मसाले , फ्रूटी , कोल्ड ड्रिंक्स आदि का अम्बार लग गया है .... साफ़, स्पष्ट और बड़ा सन्देश एक ही है  - प्रश्नपत्र में पूछा गया कोई भी प्रश्न निरुत्तर नहीं छोड़ना है, आता हो तो कायदे से लिखो  और अगर नहीं आता हो तो और भी  कायदे से..... प्रश्न छोड़ देना ही असफलता की पहली निशानी है -ये बात कतई गाँठ बाँध के रख लो.....

इस रात की सुबह नहीं , हमेशा रौनको से गुलज़ार रहने वाला यह छात्रावास , फ़िलहाल संजीदा है , सभी लोग अपनी रणनीति के अनुसार पढाई या अन्य किसी कारगुजारी में तल्लीन है , कोई सुबह जल्दी उठने के भरोसे alprax खा के जल्दी सो गया है तो कुछ योद्धा अभी भी डटें हुए है , सब कुछ समेट के ही सोयेंगे , सुबह जल्दी उठने का जोखिम नहीं लिया जा सकता... अगर न उठ पाये तो.....???? :)

सूर्यादय से पहले ही कई लोग जग चुके है , कमरे से चाय , कॉफ़ी बनने की महक व आवाजें आ रही हैं , परस्पर जाहिल आचरण करने वालो में आज सभ्यता अपने चरम पे है , एक दूसरे की जरूरते पूछी जा रही है  और उनका यथा संभव तुरंत निराकरण भी हो रहा मोहन प्यारे हाथ coffee Mug थामे  मुझे देने मेरे पास आये और मै लबो पे दबी सिगरेट और हाथो में थामी रंगीन -पुती और underlined किताब होने के वजह से उन्हें अपने नेत्रों के माध्यम से अपनी कृतज्ञता व्यक्त कर रहा हूँ  और साथ ही साथ अपनी दयनीय स्थिति भी...

नाश्ता समय से कमरे पे ही आ गया है , राजमन को मालूम साहब लोगो के दुर्दिन चल रहे है , गलती की सुई की नोक के बराबर भी गुंजाइश नहीं.पराठा जल्दी से गोल कर के निगल लिया गया है , चाय आधी ही पी  और आधी छोड़ दी गयी है.और दिनों इत्मीनान से घंटो में होने वाला काम आज चंद मिनटो में ही निबट गया है
जरूरते और परिस्थितियाँ  मानव को कितना कार्य कुशल बना ही देती है , श्रम की सीमा तो व्यक्ति और शरीर तय कर देता है  पर आलस्य तो विकराल है , विशाल  है , सिंधु  सदृश्य ....

अपने-अपने  असलहो  (पेन-पेन्सिल ,स्केच पेन , मार्कर्स  और कई कीन कुमारो की ये फेहरिस्त कुछ ज्यादा ही लम्बी है ) को समेट सभी  योद्धा युद्धभूमि (Examination Hall) जाने को अब तैयार है अनेक अनिश्चताओ को अपने जेहन में लिए हुए .

हॉस्टल के गेट पे उत्सव सा माहौल है , जूनियर्स टीके की थाली लिए हुए पूरे जोशो-खरोश  के साथ  मौजूद है , आते- जाते सीनियर्स भी रुक गए है तो कुछ ऊपर की wing से नीचे झांक रहे है .… सभी योद्धाओ (परीक्षार्थियों  ) ललाट  पे अंगूठे से अक्षत युक्त  तिलक लगाया जा रहा है,"यावत गंगा कुरुक्षेत्रे " का मंत्रोच्चारण है  , विजयी भव -विजय भव का शोर गुंजायमान है  और साथ के साथ कॉलेज आरम्भ होने के समय से चलते आ रहे MKB के नारे भी समस्त गुरुवर  लोगो का स्मरण है , कुछ को तो हिचकियाँ अवश्य ही आ रही होंगी ...

हमारी हर स्वस्थ प्रथा के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक कारण  अवश्य है..... अंत समय तनाव से निजात दिलाने का इससे उत्कृष्ट उदहारण मैंने आज तक नहीं देखा , अब उल्लास, डर पे हावी है .... सारी आशंकाओ का अब समाधान सा प्रतीत हो रहा है , विषाद खत्म.हो चुका है ... अब जो भी होगा देख लेंगे की  सोच के साथ हम सभी अपने गंतव्य यानी  परीक्षा कक्ष की तरफ प्रस्थान कर रहे है.

चूँकि ये लिखित परीक्षा है अतः समस्त बालक परीक्षार्थी जो मन आया वो पहन के आये है , बाल बिखरे और दाढ़ी बड़ी हुई है , चेहरे  पे कितने बेचारगी वाले भाव है , मस्त-मलंग दबंग आज कितने दीन-हीन और मलीन है ...
बालिकाओं में  आज जरूर एकरूपता है ....सभी apron पहन के जो आयीं हैं....

प्रश्नपत्र   बांटा जा रहा , बगल की सीट वाले सहपाठी/सहपाठिन से खुसर-पुसर जारी है , मदद के वादों के मध्य मौन भी कितना मुखर है आज , शब्द गौण है , भाव-भंगिमायें जो कितना कुछ व्यक्त कर रही है...
डर और अनेक आशंकाओ के बीच प्रश्नपत्र आंखिरकार हाथ में आ ही गया ,इष्टदेव का स्मरण कर उसको पढना चालू कर दिया है और साथ ही साथ अपनी औकात को तोलना भी ... मिश्रित से भाव है पर लगता है इससे निबट ही लेंगे।  समय और कलम की जद्दोजेहद जारी है , अपनी तो पहली कॉपी ही नहीं भरी और मेजर बाबू ने दूसरी B कॉपी मांग ली है , सोच के साथ कोफ़्त भी है के ससुरा इतनी तेजी से लिख क्या रहा है ?

मानव सबंध बड़ा ही विकट विषय है , आवश्यकता तो अविष्कार की जननी है, और समय की मांग भी यही  है इसलिए उन बालक –बालिकाओं के बीच भी आज इशारे-बाज़ी और मान-मनोव्वल जारी है जिन्होंने इससे पूर्व  शायद ही कभी आपस  राबता कायम किया हो और इससे आगे भी शायद ही करे .... खीज , हर्ष , मातम और अहमकाना हरकतों के बीच  फिलहाल कॉपी भरना जारी है ....

Invigilator अध्यापक के आंखिर पांच मिनट के चेतावनी के मध्य में अपनी उत्तर पुस्तिकाओं को नत्थी करने में मसरूफ हूँ , पर  कुछ योधाओ और वीरांगनाओ  की अंत समय की fire fighting अब भी जारी है  उन महत्वपूर्ण  ५० प्रतिशत अंको के लिए....

अगले paper  से  पहले कल एक दिन का gap है इसलिए हम साथियों का कारवां अब चल दिया है कोपरेटिव की ओर... चाय की चुस्कियो और सिगरेट के कशो के बीच अपने-अपने फैलाये गए रायते पे विचार-विमर्श करने ...
जोड़ो के गुनगुनी खिली धूप में आपस खेलते हुए कुत्ते के बच्चो को देख कितना ईर्ष्या भाव है और उनकी मस्ती के बीच अपनी हालत पे कितना तरस .... :(


Sunday 21 September 2014

फितरत वही तो

फितरत वही तो
तेरी इन तब्दीलियों को
हम क्या माने ?

दिखावट के ये खेल
कितने जाने-पहचाने

Thursday 4 September 2014

आज अनुष्ठान का दिन है , पिछला पखवाड़ा काफी व्यस्त रहा.... terminal  exams  की वजह से सर उठाने की फुर्सत ही नहीं मिली... किताबों  से फिलहाल छुटकारा  ,सांप का जन्मदिन , लकड़ी की नयी Bike , कालू के नए Double  cassette music system , और BBC को उनकी पुरानी मोहब्बत से इज़हार-ए -इश्क़ और न जाने क्या-क्या …  वजहों की एक लम्बी सी फेहरिस्त  है आज celebrate करने के लिए...न जाने कितने दिन पढाई की टेंशन में सूखे- सूखे निकल गए ...अब  हर किसी की तरबतर होने की ख्वाइश है.…

पार्टी में किसी को निमंत्रण नहीं दिया जायेगा , शोरगुल  को सुन जो अपना समझ के आ जाए उसका खैरमकदम  ,  यहाँ कोई मेहमान नहीं पर कई दिनों से बचते रहे सांप , लकड़ी, कालू  और  BBC मेजबान जरूर है .... आज की शाम और कल की सुबह तक चलने वाले इस भव्य उत्सव के खर्चे के लिए आवश्यक मुद्रा इन्ही लोगो की जेबो से निकाली जायेगी ....

Contribution आ गया है , menu तय हो चुका है , जिम्मेदारियाँ  बाँटी जा चुकी है , अब हर किसी को शाम होने का बेसब्री से  इंतज़ार है…

आज कई दिनों बिखरा हुआ कमरा समेटा जा रहा है , किताबे और गंदे कपडे किसी तरह से अलमारी में ठूंस दिए गए है , गंदी हो चुकी चादर को झाड़  के उल्टा करके फिर से बिछा  दिया है , लटकते हुए जालों को तौलिये के फटकों  से हटा दिया गया फिर भी  ये छोटे हो यत्र -तत्र ये झूलते हुए मुझे चिड़ाने की कोशिश कर रहे है ...

Study  table खाली कर दी गयी है ,  झाड़ पोंछ के  उसके ऊपर  पुराना साफ़ -सुथरा हसीनाओं की विभिन्न हसीन मुद्राओ वाला  रंगीन  अख़बार बिछा  दिया गया है , आज शाम इसे  BAR-TABLE  की पदवी से नवाज़ा जायेगा , सुरा पात्र विभिन्न कक्षों  से एकत्र किये जा रहे है ....विभिन्न- विभिन्न आकार के प्लास्टिक , चीनी मिटटी,  कांच और स्टील से निर्मित ये   कप , गिलास, कटोरी  और Coffee Mug आज अपने गठन के अंतर को खो हमारे परम  आनंद की अनुभूति का माध्यम बनने वाले है और इनमे से कुछ का शहीद होना भी तय है....

Table lamp की गर्दन को मरोड़ उसे कमरे के एक कोने में दीवार से सटा के रख दिया गया , tube light पे रंगीन पन्नी चढ़ा दी गयी है गई है , एक ,दो फोटो और चंद अगरबत्तियों  वाले अति सूक्ष्म मंदिर को साफ -सुथरे कपडे से ढक दिया गया है और और ईश्वर से क्षमायाचना  करते हुए दियासलाई की डिब्बी धीरे से जेब के  सुपुर्द  कर दी गई है.....
 आयोजन की सफतला हेतु सभी  लोग जी जान से जुटे हुए है , विभिन्न परामर्श , वाद विवाद ,रूठने , मनाने की कवायदों की बीच समय धीरे-धीरे गुजर रहा है.… वाकई आज दिन काफी बड़ा प्रतीत हो रहा है....

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आंखिर शाम हो ही गयी , रिन्दों का जमावड़ा लग चुका है , जुबान रूपी असलहे से एक से एक उम्दा शब्द रुपी गोलियों की धका -धक  बौछार है , सरगोशियों के लिए लेश मात्र भी स्थान नहीं , शोर अपने चरम पे है , सब कुछ व्यापक , स्थूल  और अपने मूल स्वरुप में है, कुछ भी परिष्कृत नहीं …

बनाव -श्रृंगार, , सजे-धजे लिबास,  उपहार, कार्ड , केक की  औपचारिकताओं से परे विशुद्ध देशी माहौल है यहाँ , कमरा मद्धिम रंगीन रौशनी में सराबोर है , टेबल लैंप का  छतोन्मुख प्रकाश अनुपम छठा बिखेर रहा  है , हलकी आवाज़ में चल रही पंकज उधास की गज़ल हम से मैकदे और उसके घर में से किसी एक को चुनने की कश्मकश को बयां कर रही है , तरह-तरह का चखना बिस्तर के ऊपर रखे अखबार पे छोटे-छोटे चट्टो के रूप में विराजमान है,  धूम्र दण्डिकाओ के पैकेट चरसियों की नजरों से दूर  माचिस समेत आयोजको के जेबों में शोभा पा रहे हैं  ,घुटन्ना और T -shirt ही सर्वमान्य dress कोड है और हर कोई यही जानने का इछुक कि मंगवाई किस Brand  की है ?

अंगूर की बेटी की चमचमाती bottle  अलमारी बाहर आ चुकी है , और सबकी आँखे फटी के फटी , पैसो की किल्लत की वजह से हमेशा बूढ़े  पुजारी (OLD MONK) की शरण में रहने वाले मैपरस्तो को आज  ROYAL CHALLENGE मयस्सर है  और सब लगे है मोहन प्यारे की पीठ ठोकने , अपने बापू को पटा आर्मी कैंटीन से उसने यह  बेहतरीन जुगाड़ जो किया है.…
मुस्कुराते हुए , गरियाते हुए सबका अभिवंदन  स्वीकारते  और सबकी शंकाओ का समाधान करते हुए  वो तेज आवाज़ में   कह रहा है .... पूरा इंतज़ाम है   कम नहीं पड़ेगी… चाहे पियो या  नहाओ.... J

बोतल खोली गई पर ये क्या अंदर तो जाली का एक और  ढक्कन  और मौजूद है , सभी  दुविधा में ,अब इसे कैसे निकला जाये  , इस नई  अड़चन से कैसे पार पाया जाये ,  किसी ने पेंचकस तो किसी ने प्लास का मशवरा दिया लेकिन तभी राजा बाबू पंचलाइट के गोधन की तरह प्रकट हुए , बोतल को एक झटके अपने हाथ में उल्टा करके,घुमाते हुए  के वहाँ मौजूद पैमानों में उड़ेलने लगे हमारे गंवार होने के तंज की साथ.… 

सच ही तो है ज्ञान और अनुभव के आभाव में  क्षुद्र से क्षुद्र चीज भी कितनी व्यापक और कठिन प्रतीत होती है..... 

अब ये BOY'S HOSTEL की यह  रिवायत बन चुकी है के सबसे पहले जय भैरव होगा , ढक्कन में भरके neat सुरा कमरे के अन्दर चारो दिशाओं की ओर  उड़ेली जा रही है , जय भैरव का जाप हो रहा , असंतृप्त आत्माओं की शान्ति हेतु….
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पार्टी अब अपने पूरे शबाब पे है, , स्वच्छंदता चरम पे है , अभिव्यक्तियों की अतिरेक  है , सीमाओं  में बंधे रहने की किसी की भी मंशा नहीं , सभी अपने को व्यक्त करने में लगे है , तरीके भिन्न भिन्न है पर उद्देश्य  एक ही है  .… समस्त वर्जनाओं  को तोड़ खुद से भी अनिभिज्ञ हो अपना सर्वश्रेष्ठ बेतकल्लुफ अंदाज़ प्रदर्शित करना .....

चखना निबट   चुका है , Non Drinkers की फ़ौज cold drinks के साथ उसे चौपट कर चुकी है , कमरे और wing में भसड फ़ैली हुई  है , music काफी loud है , पंकज उधास को अब Vengaboys प्रतिस्थापित कर चुके है , पसीने से लतपथ कुछ  लोग अपनी बेजोड़ नृत्य क्षमता प्रस्तुत कर रहे और पकड़-पकड़ के सभी को वैसा ही करने के लिए बाध्य कर रहे है ....

भावनाए अब हिलोरे मार रही है , दोस्ती का वास्ता दिया जा रहा है , कुछ भी कर गुजरने की कसमे खायी जा रही है , कोई अपने मेहबूब को याद करके ग़मज़दा है , कोई अपनी भड़ास निकालने के लिए जोर-जोर से चिल्ला रहा है, कोई किसी से कोई पुराना हिसाब चुकता करने की बात कर रहा है ,कुछ खाली पडी बोतलों को जांघ से बार-बार रगड़ उसके अन्दर दियासिलाई डालने के खेल में मशरूफ है तो कोई उनको तीसरी मंजिल से नीचे पटक कर शहीद करने में....

कमरे और wing की हालत किसी युद्ध के उपरांत हुए विध्वंस की छवि प्रस्तुत कर रही है , स्टूल , कुर्सी , कूलर ,बाल्टी, मग्गे , गिलास ,नमकीन और चिप्स के खाली पैकेट इधर-उधर बिखरे हुए है , पता नहीं खाना किसने खाया , किसने नहीं खाया पर कुछ लोग आगे से  ना पीने की कसमो के साथ उसे निकालने में जरुर लगे हुए है , गाली और concern के साथ कुछ साथी इन महानुभावो की पीठ सहला रहे है...

शिव के बांकी गण नारे लगाते ,शोर मचाते निकल चुके कॉलेज  गेट की ओर   इस भव्य अनुष्ठान में अपनी अंतिम आहुति देने , Divider पर बैठ सुन्दर की चाय पीने....