नासमझ खुद को ही खुदा मान बैठे हैं
चापलूस जी इनके इर्द-गिर्द तमाम बैठे हैं
है नज़र कहीं दिखावा और कुछ और ही
अमानत में खयानत की ही ठान बैठे हैं
इनकी गलतियों को क्या किया नज़रअंदाज़
ये हमको निहायत बेवक़ूफ़ ही जान बैठे है
मुद्दतो बाद जो इकट्ठा हुए हम सब
जमीं हिलती देख अफवाहे गान बैठे है
वख्त का तकाज़ा है छोड़ दीजिये नवाबी
हम सब तुम्हारी कारगुजारियों से परेशां बैठे है
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