Tuesday 16 April 2019

एक कमाल के मनोरोग चिकित्सक , बीमारी पे गज़ब की पकड़ , आला दर्जे  की डायग्नोसिस , अजी  परचा नहीं रामबाण कहिये , एक बार जो नुस्खा लिख दिया समझ लो बीमारी तीतर हो ली.... गज़ब की भीड़ होती थी डॉक्टर साहब की OPD में , एक दम रेलम पेल मची रहती थी , लेकिन डॉक्टर साहब थे बिलकुल अनुशासनप्रिय , सब मरीजों को  उनके आने के क्रम से ही  देखते , किसी की मजाल जो लाइन तोड़ के पहले घुस ले ...

सारे अर्दली ,चपरासी,JRs उनके इस मिजाज से भली भांति वाकिफ थे सो सभी इस बात को ensure करने की भरसक कोशिश करते कि बड़े डॉक्टर साहब के बनाये हुए कायदे कानूनों का अक्षरक्ष पालन हो ... नियमों का टूटना मतलब ज्वालामुखी विस्फोट , विभाग की शांति तो भंग होगी  ही और बहते लावे की जद सभी आयेंगे ,कोई नही बचेगा ...

लेकिन दुर्घटना से भला कौन बचा है ... एक दिन OPD में मची भसड के दौरान के मरीज लाइन तोड़ने की गुस्ताखी कर बैठा और डॉक्टर साहब के नज़दीक अपना परचा लिए पहुँच गया.... इसके पहले कि वो कुछ बोल पाता  प्रोफेसर साहब जो बेशुमार मरीजो की मार से पहले ही तिलमिलाए बैठे थे हत्थे से उखड लिए , कलम पटक दी गयी , कुर्सी पीछे धेकेल दी गयी , हाथ में पकडे परचे हवा हवाई हो गये , नथुने फुलाते हुए ,सर झटकते हुए , मेज पे जोरों से हाथ पटकते हुए दहाड़ते हुए बोले ....@#$% MC&*BC $$MKB ,BOSS.DK निकल बाहर... तेरी जुर्ररत कैसे हुई लाइन तोड़ने की ....

ये आपातकाल था ...सब के सब स्थिति सँभालने हेतु दौड़ पड़े , किसी अनहोनी के मद्देनज़र  मरीज को फुंकारते प्रोफेसर साहब की रेंज से  तुरंत  दूर किया गया ...

अब बोलने की बारी अपशब्दों के माउंट एवेरेस्ट के नीचे दबे मरीज की थी ... २ हफ्ते पहले जिस स्थिति में इस समय डॉक्टर साहब है बिलकुल DITTO ऐसी ही मेरी हालत थी , उस समय डॉक्टर साहब ने मुझे जंजीर से बाँधने , बिजली के झटके और कमरे में बंद करने के परामर्श दे डाले थे , मै तो ठीक हो गया पर लगता है मेरी बीमारी डॉक्टर साहब को लग गयी है अब इनका भी इलाज कराओ ...

मैंने कोई लाइन नहीं तोड़ी है , मई तो बस इतना पूछने आया था कि अगर नंबर आने में देर है तो तब तक तक मै चाय पी आता हूँ ....

सुना है लम्बे अरसे से साथ रहते रहते पति पत्नी की सूरत आपस में मिलने लगती है और शायद यही हम डॉक्टर्स के साथ भी होता है ,ईलाज करते करते हमारा आचरण भी मरीजों जैसा ही हो जाता है और मनोरोग चिकित्सक इस मामलें में कुछ ज्यादा ही बदनाम है ....

साभार - मनीष निगम बॉस

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