पोटली में बाँध
कुछ सामान लिए
पिताजी घर से चले आये
माँ का स्नेह साथ पिरो लाये ...
भेजे हैं माँ ने
अपने चुन्नु के लिए
कुछ बेसन के लडडू
कुछ मठरी और चने का सत्तू
लल्ला दूर पढ़ रहा है
माँ को ये विछोह
कितना अखर रहा
पता नहीं क्या खाता होगा
पेट भी अच्छी तरह कहाँ
भर पाता होगा ...
कितने लाड प्यार में
देखो ये पला है
खाने में कितना
न –नुकुर इसने किया है
कलेजा का टुकड़ा
परदेस में मेहनत कर रहा है
परिवार को तारने के
कितने ख्वाब बुन रहा है
पोटली खुलते ही
फ़ैल गयी चारो ओर महक
आस-पास का संगी साथी
करे पिताजी को चरणस्पर्श
सब देखों खाने में रमे है
महीने भर की सामग्री
मिनटों में चट कर दिए है
ये देख पिताजी फूले नहीं समाते
अपने संघर्षो को फलीभूत होता देख
देखो कितना हर्षाते ...
कुछ सामान लिए
पिताजी घर से चले आये
माँ का स्नेह साथ पिरो लाये ...
भेजे हैं माँ ने
अपने चुन्नु के लिए
कुछ बेसन के लडडू
कुछ मठरी और चने का सत्तू
लल्ला दूर पढ़ रहा है
माँ को ये विछोह
कितना अखर रहा
पता नहीं क्या खाता होगा
पेट भी अच्छी तरह कहाँ
भर पाता होगा ...
कितने लाड प्यार में
देखो ये पला है
खाने में कितना
न –नुकुर इसने किया है
कलेजा का टुकड़ा
परदेस में मेहनत कर रहा है
परिवार को तारने के
कितने ख्वाब बुन रहा है
पोटली खुलते ही
फ़ैल गयी चारो ओर महक
आस-पास का संगी साथी
करे पिताजी को चरणस्पर्श
सब देखों खाने में रमे है
महीने भर की सामग्री
मिनटों में चट कर दिए है
ये देख पिताजी फूले नहीं समाते
अपने संघर्षो को फलीभूत होता देख
देखो कितना हर्षाते ...
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