Wednesday 4 April 2018

हॉस्टल से घर ...

कई दिनों से हॉस्टल में 
रहते रहते ऊब गए 
फिर घर की खट्टी मीठी 
यादों में डूब गए

होम सिकनेस ने सताया 
झट से VIP सूटकेस उठाया 
ढेरों कपडे ठूसे इस कदर 
बंद करने के लिए बैठ गए ऊपर

बिना रिजर्वेशन ही निकल लिए 
TT से ही तो जुगाड़ हर बार किये 
स्लीपर का डिब्बा कितना हिले 
लोरी सी ट्रेन की छुक छुक लगे

घर पहुँचने की सोच से प्रसन्नचित मन 
कौन सा स्टेशन आया हम पूछे हरदम 
सीट के नीचे अपने सामान को कई बार देखें 
जूते न चोरी हो के ख्याल से उड़ गयी नींदे

रिक्शेवाले को दे दिया दो रुपया ज्यादा 
सुबह सवेरे पिताजी ने खोला दरवाजा 
न ख़त न फोन से आने की इतला है 
अम्मा की आँखों से खुशी का बादल बरसा है

पड़ोस के अंकल से हो गयी नमस्ते 
कुशल क्षेम पूछ वो भी हो लिए अपने रस्ते 
अटैची खोल गंदे कपडे बाहर निकाले
नए LEATHER पर्स को किया पिताजी के हवाले

अम्मा ने सारे कपडे , तुरंत भिगा डाले 
और हैं क्या ? बस बार बार पुकारे 
नाश्ते में आज आलू का परांठा है 
घर के मक्खन का स्वाद कितना ज्यादा है

बिना नाहे धोये ही खाने पे पड़े टूट 
अम्मा के आँचल से हाथ पोछने की छूट 
पिताजी पैदल निकल लिए अपने विद्यालय 
किया स्कूटर की चाभी को मेरे हवाले

साफ सुथरा बिस्तर कितना अच्छा लगे 
तकिया टिका हम टीवी देखने लगे 
घडी की सुई ने १२ बजाये 
तब जाके कहीं हम गुसलखाने में घुस पाए

नहा धो के अब DINING टेबल पे जमे है 
अपने पसंद के आज सारे व्यंजन बने है 
जी भर के अरहर दाल और चावल खाए 
मैथी की सूखी सब्जी कितना जायका बढ़ाये

खाना खा कर अब आ रहा औसान 
बिस्तर के हवाले हो गये श्रीमान 
सफ़र की सारी थकन लम्बी नींद ने मिटाई 
शाम के चाय अम्मा ने बिस्तर पे ही पिलाई

तैयार हो अब हो रही शहर की घुमाई 
शर्मा जी की लड़की देख के मुस्कुराई 
पुराने संगी साथियों से कितनी मुलाकाते 
डॉक्टर के संबोधन पर हम सबको डांटे

दो चार दिन तो सब अच्छा ही लगे 
घर के प्रतिबन्ध में अब लगे बंधे बंधे 
पढाई की भी चिंता रह रह सताए 
कुछ छूट जाने की आशंका कितना डराए

लो देखो आ गयी वापसी की तिथि 
सवेरे से ही आंखे कितनी भरी भरी 
अम्मा ने जैम की शीशी में देसी घी थमाया 
खाने पीने का सामान अलग से पकडाया

लल्ला के जाने से अम्मा बेहाल 
पिताजी का समझाना उन्हें लगे बेकार 
पिताजी के अन्दर भी ढेर सारा स्नेह 
कैसे उड़ेले अपनी कडक छवि खो जाने का भय

चरणस्पर्श कर ले रहे विदा 
पड़ोस के पिंटू ले बुला लिया रिक्शा 
रिक्शे वाला पेडल धीरे-धीरे खीचने लगा 
दूर होता हुआ घर हाय अखरने लगा...

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