ये मुलाकातों के दौर, मुसल्सल जारी रहें
तमाम मरूफियतों के बीच जिन्दा यारी रहे
हो जा मस्त मलंग दिल खोल के तू अपना
हरदम जवां रहने की अपनी तैयारी रहे
तकादा कर रही है साथ न पी मय कब से
वायदों की हम पे अब न कोई उधारी रहे
आ गज़ब शोर करे मुदात्तो बाद मिल के
वो ही पुरानी गालियां, सारी की सारी रहें
जेब की चिंता में देख बीता कितना वक्त
इस दोस्ती में अब ऐसी न कोई लाचारी रहे
तमाम मरूफियतों के बीच जिन्दा यारी रहे
हो जा मस्त मलंग दिल खोल के तू अपना
हरदम जवां रहने की अपनी तैयारी रहे
तकादा कर रही है साथ न पी मय कब से
वायदों की हम पे अब न कोई उधारी रहे
आ गज़ब शोर करे मुदात्तो बाद मिल के
वो ही पुरानी गालियां, सारी की सारी रहें
जेब की चिंता में देख बीता कितना वक्त
इस दोस्ती में अब ऐसी न कोई लाचारी रहे
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