जाड़ो की एक अलमस्त सुबह
लेक्चर जाने को लेकर संशय
तभी हमारे ज़मीर ने धिक्कारा
रजाई छोड़ने के लिए धक्का मारा
देर रात तक जगे नींद कैसे हो पूरी
ये मॉर्निंग लेक्चर गज़ब की मज़बूरी
क्या मस्त नरम-गरम बिस्तर पड़े थे
कितने हंसीं ख्वाब हम बुन रहे थे
ये कम्बख्त रूम पार्टनर क्यों जग गया
आलसी होने का तमगा हमपे जड़ गया
ऐसा एक अहसास तुरंत हुआ उजागर
जैसे कोई पाप किया हो घरवालों से छुपाकर
पिताजी का भेजा पैसा कुछ याद दिलाने लगा
मध्यमवर्गी सपना कर्तव्यबोध कराने लगा
पिताजी का भेजा पैसा कुछ याद दिलाने लगा
मध्यमवर्गी सपना कर्तव्यबोध कराने लगा
तुरंत आँखों का गीदड़ अँगुलियों से हटाया
ठण्ड के प्रकोप में पञ्च स्नान से काम चलाया
बिना नाश्ता दौड़ पड़े रजिस्टर उठाकर
भागते हुए एप्रन पहने, देखो लड़खड़ा कर
ठण्ड के प्रकोप में पञ्च स्नान से काम चलाया
बिना नाश्ता दौड़ पड़े रजिस्टर उठाकर
भागते हुए एप्रन पहने, देखो लड़खड़ा कर
सुई के कांटे से दौड़ हम जीते हफ -हफां के
८ बजे से पहले पहुंचे ,साथी से लिफ्ट पा के
उनींदी आँखे आंखे व्याख्यान को क्या समझे
वो तो सिर्फ अपनी वाली के दर्शन को तरसे ..
एकाएक वो नज़र आईं , पीछे की पंक्ति में
आंखे सजग हुई दर्शन और भक्ति में
ये एकतरफ़ा प्रेम भी कितना अजीब है
प्रेमी है पर मौखिक अभिव्यक्ति से गरीब है
देखो खुमारी में होगया गुरूजी का लेक्चर ख़त्म
अनुपस्थित महानुभावो का प्रॉक्सी से उचित प्रबंध
उगे दिवाकर की गुनगुनी रश्मियों के तले
नाश्ते के लिए पैदल ही छात्रावास चल दिए ..
८ बजे से पहले पहुंचे ,साथी से लिफ्ट पा के
उनींदी आँखे आंखे व्याख्यान को क्या समझे
वो तो सिर्फ अपनी वाली के दर्शन को तरसे ..
एकाएक वो नज़र आईं , पीछे की पंक्ति में
आंखे सजग हुई दर्शन और भक्ति में
ये एकतरफ़ा प्रेम भी कितना अजीब है
प्रेमी है पर मौखिक अभिव्यक्ति से गरीब है
देखो खुमारी में होगया गुरूजी का लेक्चर ख़त्म
अनुपस्थित महानुभावो का प्रॉक्सी से उचित प्रबंध
उगे दिवाकर की गुनगुनी रश्मियों के तले
नाश्ते के लिए पैदल ही छात्रावास चल दिए ..
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