Thursday, 29 January 2015

लडकियाँ दो प्रकार की ही होती है , एक अच्छी और दूसरी बहुत अच्छी , गन्दी या बुरी लड़की मन का भ्रम है, हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं है इसलिए कोई भी यह भ्रांति न पाले ....
अच्छी लडकियाँ वाकई में अच्छी होती है , बहुत अच्छी लड़कियों से कुछ ही मामलों में उन्नीस ... एक दम सीधी सादी , नाक की सीध में चलने वाली ,अपने काम से काम रखने वाली, अपने परिधानों में कोई विशेष ध्यान न देने वाली, जो मिल गया वो पहन लिया टाइप्स , कपड़ो से मेल खाते वेशभूषा के अन्य अवयवो के आपसी मिलान में इनकी कोई विशेष रूचि नहीं होती .... अधिकतर हिंदी माध्यम से पढी हुई ये बालायें थोड़ी संकोची स्वाभाव की होती है , लड़को से बात तो करना चाहती है पर झिझक के कारण नहीं कर पाती है, ये लड़कियों के बीच ही सहज होती है और आप सब की कल्पना से भी ज्यादा मुखर , यहीं इनकी दबी हुई प्रतिभायें अपना मूर्त रूप ले अन्य सभी सखी सहेलियों को अचंभित कर देती है ....
इनका बचपन वंचित तो नहीं पर बहुत ज्यादा विलासी भी नहीं होता , इसलिए बचत की आदत शुरू से ही पड़ जाती है , १२वी कक्षा तक माँ-पिता भाई का संरक्षण में रहने वाली जब ये पहली बार घर से दूर हॉस्टल पहुँचती है तो रोजमर्रा के कार्यो में काफी कठनाईयों का सामना करती है पर गलतियाँ कर देर-सबेर ये सबकुछ सीख ही लेती हैं ,
बिना घरवालों की रजामंदी के कोई भी कार्य नहीं करती चाहे वो मैगी का पैकेट खरीदना हो या फिर शादी , मन के अन्दर बहुत कुछ चलता रहता है पर वो अपने तक ही सीमित रहता है , मित्र कम ही होते पर उनपर निर्भरता ज्यादा होती है और बहुत परेशान होने पर उनसे ही बातें साँझा करती है ... कुछ ही सारी की सारी नहीं .
इनका स्वयं को छोड़ अन्य कोई प्रतिद्वंदी नहीं होता क्योंकि इनका अधिकांश समय खुद से ही जूझते रहने में व्यतीत होता है .... खुद की कोसाई ही इनकी सबसे बड़ी कमी होती है अक्सर उसी में लिप्त रहते हुए ये अपनी अच्छाईयों को भूल जाती है ...
इनकी झिझक, इनका डर , इनका असहजपन अक्सर इनके गुस्से के रूप में प्रकट होता है जो वास्तिविकता से परे इनके जिद्दी ,अड़ियल और असामाजिक होने का भ्रम पैदा करता है .... इनके अत्यंत निकट रहने वाले ही इस बात को बेहतर तरीके से जान सकते है...
खुद अपने काम पे यकीं रखने वाली ये मोहतरमायें किसी से भी अनावश्यक मदद की दरकार नहीं रखती और एकला चलो पे ही विशवास रखती है ...
बहुत अच्छी लड़कियां वाकई गजब की होती है , किसी पारिवारिक पृष्ठभूमि ,शिक्षा , शहर से इनका कोई वास्ता नहीं, खुद ईश्वर द्वारा नवाजी गई ये कहीं भी मिल सकती है .... सभी लोग इनके मुरीद होते है और इनके तमाम यत्न-प्रयत्न ,कोशिशे भी अपनी लोकप्रियता को ही अक्षुण्ण बनाये रखने की होती है ....
सिर के बालो लगे रुफ्फ्ल हेयर बैंड से लेकर पैरो की सबसे छोटी के कन की अंगुली के नाख़ून में लगी नेल पॉलिश तक सबकुछ सटीक रूप से मिलान किया हुआ होता है .... ये शुरू से ही आत्मनिर्भर होती है , अपने को किसी मामलो में लड़को से कम नहीं समझती और समझे भी क्यों उन से दो कदम आगे ही होती है ....
उपलब्ध संसाधनों का पूरा का पूरा उपयोग अपने हित में कैसे होता है ये कोई इनसे सीखे , अपना काम करवाने में माहिर, इनके मोहनी इंद्रजाल में फंसे लड़के इनके हुक्म की तामील में दौड़ते ही रहते है , कॉलेज के प्रोफेसर भी इनके मोहपाश में बंधे कितनी लार टपकते है और परीक्षाओं में उत्तर न आने की स्थिति में मुस्कान ही इनका सबसे कारगर अस्त्र होता है जो कभी विफल नहीं जाता ...
इनके लिए जीवन में सबकुछ पहले सी तय होता हो , किस लड़के को मजदूर बना के काम करवाना है , किस को साथ में टहलाना है , किस से इमोशनल सपोर्ट चाहिए और किस को भईया बना के सुरक्षा पानी है बस तय नहीं होता तो वो है जीवन साथी , परफेक्ट पार्टनर की खोज सदैंव ही जारी रहती है और मौके पे ही चौका लगाया जाता है , जीवन में स्थायत्व को रंग रूप और शारीरिक गठन से सदैव ही ज्यादा तरजीह दी जाती है ....असंवेदनशील तो नहीं पर ज्यादा इमोशनल भी नहीं .... बहुत प्रैक्टिकल होती है, विपरीत हवाओं के रुख को भी अपने पक्ष में मोड़ने में सिद्धहस्त....
लोकप्रिय होने के कारण सबसे मेल-मिलाप रहता है, जानी -दुश्मनी तो किसी से नहीं पर इनके अन्दर असुरक्षा का भाव बहुत ही ज्यादा होता है खासकर अपनी तरह की दूसरी बहुत अच्छी लड़की से जो अक्सर विवाद की शक्ल भी ले लेता है ...खुद को सांत्वना देने और ढाढ़स बंधाने के लिए खूब निंदा रस का सेवन किया और करवाया जाता है ...
सफल रहना ही पहली प्राथमिकता होती है इसलिए साथी प्रतिद्वंदी सरीखे नज़र आते है , मित्रता तो होती है पर घनिष्ठता नहीं, खुद के बेहतर साबित करने की होड़ में अक्सर सम्बन्ध पीछे छूट जाते है ... इनके बहुत से क्रियाकालाप बहुत ही नपेतुले और गुपचुप तरीके से होते है , खुद के आलावा ये किसी अन्य पे भरोसा रखने नहीं करती ..... अपने आभामंडल से उत्पन्न भीड़ की ये आदि सी हो जाती है और आगे चलकर ये ही उनकी सबसे बड़ी विवशता भी बनता जो अक्सर उनके कार्यों, आचरण और निर्णयों को प्रभावित करता है ....

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