Saturday, 31 January 2015

लड़के भी केवल दो प्रकार के ही होते है , पहले बुरे और दूसरे बहुत बुरे। लड़कों की फितरत है ही ऐसी  कि वो अच्छे हो ही नहीं सकते इसलिए "अच्छा लड़का " एक कोरी कल्पना से ज्यादा कुछ भी नहीं...

बुरे लड़के वाकई में बुरे होते है पर बहुत बुरे लडको थोडा कम...ये अपने सामने किसी को कुछ नहीं समझते , "अपना काम बनता भाड़ में जाये जनता " कहावत की उद्गम स्थली ये ही लोग है , फोकस में रहने के लिए ये कुछ भी कर सकते है , निहायत ही मतलब परस्त .... 

इनकी चेहरे की मासूमियत से आप हमेशा ही धोखा खायेंगे , साफ-सुथरे और मूंछ मुंडे , कमीज करीने से पतलून के भीतर खोसी हुई , पतली काले रंग की  चमड़े की बेल्ट , बेल्ट का बक्खल भी छोटा और डल्ल स्टील फिनिश का, अगर पेंट पहनेगें तो उसके साथ स्पोर्ट्स शूज कभी नहीं , हमेशा चमड़े के पॉलिश किये हुए जूते, जीन्स के साथ कोई भी जूता चल सकता है , हाथ पैर के नाख़ून करीने से नेल कटर द्वारा  एकसार  कटे हुए, व्यक्तिगत स्वच्छता का पूरा ख्याल, साफ़ सुथरे ब्रांडेड अंडरवियर और बनियान पहनने वाले....सर के बाल  छोटे पढ़ीस लुक में कटे हुए  , छोटी छोटी  कलमे  और दाढ़ी हमेशा बनी हुई  , ओल्ड स्पाइस की भीनी-भीनी  खुशबू इधर-उधर बिखेरते हुए ...

अतंत ही मृदु भाषी ...संयत,  सीमित और परिष्कृत  वार्तालाप , शब्द बड़े  ही नपे-तुले और सोच समझ के बोले हुए, जब किसे से मुखातिब हो तो विद्वता झलकती हुई और मुखतलिफ रहने में कितना ठहराव ...
अपने कार्य के प्रति समर्पित , भविष्य के लिए योजनाबद्ध , फालतू वक्त बरबाद करने की जरा भी आदत नहीं, अनेक जटिल समीकरणों के एक साथ हाल करने  में दक्ष , निहायत ही मेहनती , नित्य नवीन उपलब्धियों को अर्जित कर कीर्तिमान स्थापित करने वाले .... अनेकों से व्यक्तिगत सम्बन्ध पर स्वार्थ की परिधि के बाहर कोई भी नहीं ....
जीवन का हर कदम  सोचा समझा और परखा हुआ ....लोगो की प्रशंसा से मुग्ध  और ऐसा ही ही हमेशा चाहने वाले पर किसी निरीह  को ख़ारिज करने में जरा भी विलम्ब न करने वाले भी ... बहुत अच्छी लडकियों में  कितनी ख्याति प्राप्त ये बुरे लड़के ....

इसके विपरीत अपने मस्ती में खोये कुछ बहुत ही  बुरे लड़के... बड़े बाल , बड़ी दाढ़ी, मैली-कुचैली जींस ...टी-शर्ट या शर्ट हमेशा बाहर , नाख़ून ब्लेड से कटे  या मुंह से कुतरे  कुछ बड़े बड़े उबड़-खाबड़ से , पैर के अंगूठे का नाख़ून इतना बड़ा के जुराबों को फाड़ अपनी विकरालता का अहसास दिलाता हुआ , गंदे से स्पोर्ट्स शूज ,काले मैल की एक मोटी सी परत लिए हुए , नाक से एन्टीना की भांति निकले हुए बाल जो कभी कभार मूडे से भी सु-सज्जित , सर में बड़े बिखरे बालो के मध्य रुसी के मोटे पहाड़ जो किसी शैम्पू से नहीं, खरोजने से ही स्थूल रूप में  बाहर आते हुए , कान की टेढ़ी-मेढ़ी गलियों गन्दगी के  कारण बने अवरोध जो साबुन से न जाने कब से स्पर्श न हों पाने की व्यथा को व्यक्त करते हुए... हाथ की छोटी अंगुली से ही अपने उन्मूलन की बाट जोहे  ,  छेद युक्त अधोवस्त्र (अंडरवियर और बनियान) जो तार पे लटकने पर ही अपनी लाचारी को बयां कर पाते , इनका टूथ ब्रुश घिस-घिस के फूल की आकृति लिए अपने नए नामकरण को कितने दिवसों से  प्रतीक्षित ...

चाल ढाल और वार्तालाप सब कुछ कितना स्थूल कितना व्यापक, नजाकत और नफासत से कोसो दूर ,शब्द नहीं मानो मुख से पत्थर बरस रहे हो .... खुद की इनको चिंता कहाँ ??? हर किसी के फटे में टांग अडाने वाले, दुनियादारी के चक्कर में खुद को भूल , मतलबो से दूर सिर्फ मतलब भर की पढाई करने वाले ये मैपरस्त...

दोस्तों की  लम्बी कभी न खत्म होने वाली फेहरिस्त , संबंधो में  हर किसी से एक अनूठे, अपनेपन  का अहसास, हर मिलने वाले से  गर्मजोशी और दिल से स्वागत सत्कार , ये वर्तमान में जीने वाले भविष्य की तमाम चिन्ताओ और जोड़-घटा,गुणा-भाग से कितने दूर कितने परे... 

इनका दर हमेशा खुला हुआ, इनकी सारी चीजी सबकी और सबकी सारी चीजे गाली के साथ इनकी, मेरा तेरा का कोई भेद नहीं, कोई प्रतिद्वंदी नही सारे वाद-विवाद और ऊँच-नीच को भुला सभी मित्र ,पढाई छोड़ गली कुत्ते से लेकर मंगल गृह की चिंता का भार इन्ही  कंधो पे .....वाकई बहुत बुरे लड़के बहुत ही बुरे  होते है खासकर अपने लिए.....

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