Saturday, 31 January 2015

खाली बैठे वो
कितने मेहनतकश से
और काम करते हम
कितने कामचोर कहलायें

चुप बैठे वो
कितने बोलते से
और हम बोले तो
सिर्फ शोर ही मचायें

निर्णय न देकर भी वो
कितने निर्णायक 
और इंतजार में झल्लाते हम
विद्रोही होने का तमगा पायें...

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