Saturday 18 May 2013

ये ज़िन्दगी का सफ़र है प्यारे

चाहे बम विस्फोट हो 
या कोई  रेल दुर्घटना 
भीषण अग्निकांड की लपटे उठे 
या जलमग्न हो गाँव-शहर अपना 

जर्जर बस खाई में गिरे 
या पड़े कुत्सित जाति द्वेष भुगतना 
भूकंप से धरा काँपे 
या युद्ध की विभीषिका से हो गुजरना 


लू के थपेड़े चले 
या चीथड़ो में सर्द रातें को सहना 
साम्प्रदायिकता डसे 
या मेलो की भगदड़ में चप्पलो  का हो बिखरना 

महामारी फैले 
या नकली शराब के कहर का हो बरापना 
घटिया बनी ईमारत भरभराये 
या दहशतगर्द की गोलियों का हो चलना 


कभी कहाँ  कोई नेता मरता है 
ये ज़िन्दगी का सफ़र है प्यारे 

यहाँ केवल आम आदमी ही SUFFER करता है 
आम आदमी ही SUFFER करता है 




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