एक पल में एक सदी का मज़ा हमसे पूछिए
दो दिन की ज़िन्दगी का मज़ा हमसे पूछिए
भूलें हैं रफ़्ता-रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम
किश्तों में खुदखुशी का मज़ा हमसे पूछिए
आग़ाज़-ए-आशिक़ी का मज़ा आप जानिए
अंजाम-ए-आशिक़ी का मज़ा हमसे पूछिए
जलते दीयों में जलते घरों जैसी ज़ो कहाँ
सरकार रोशनी का मज़ा हमसे पूछिए
वो जान ही गए की हमें उनसे इश्क़ है
आँखों की मुखबिरी का मज़ा हमसे पूछिए
हम तौबा करके मर गए बे-मौत ऐ 'ख़ुमार'
तौहीन-ए-मैकशी का मज़ा हमसे पूछिए
ख़ुमार बाराबंकवी
दो दिन की ज़िन्दगी का मज़ा हमसे पूछिए
भूलें हैं रफ़्ता-रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम
किश्तों में खुदखुशी का मज़ा हमसे पूछिए
आग़ाज़-ए-आशिक़ी का मज़ा आप जानिए
अंजाम-ए-आशिक़ी का मज़ा हमसे पूछिए
जलते दीयों में जलते घरों जैसी ज़ो कहाँ
सरकार रोशनी का मज़ा हमसे पूछिए
वो जान ही गए की हमें उनसे इश्क़ है
आँखों की मुखबिरी का मज़ा हमसे पूछिए
हम तौबा करके मर गए बे-मौत ऐ 'ख़ुमार'
तौहीन-ए-मैकशी का मज़ा हमसे पूछिए
ख़ुमार बाराबंकवी
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