गन्दगी में उतरने में
पहले कदम की ही
हिचक होती है
दामन में पहले दाग के
लगने तक की ही
झिझक होती है
नाचता है इंसान फिर
शैतान की तरह
अपनी जेबे भरते रहता
किसी हैवान की तरह ..
पहले कदम की ही
हिचक होती है
दामन में पहले दाग के
लगने तक की ही
झिझक होती है
नाचता है इंसान फिर
शैतान की तरह
अपनी जेबे भरते रहता
किसी हैवान की तरह ..
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