Friday, 14 June 2013

मैखाने में मस्त मलंग मिले 
पैर कब्र  में लेकिन दबंग मिले 
हमने पूछा 
इस उम्र में क्यों पीते हो इतनी ?
हस  के बोले 
हम तो सिर्फ जीते है जिंदगी अपनी 

ये मैकदा नहीं शफ़ाख़ाना है 
फ़रमाइशो का न कोई तानाबाना है 
हमारा मकसद नशा नहीं 
केवल मस्त शफ़ा पाना है ....
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मलंग =निश्चिंत व्यक्ति (carefree ),मैकदा =मदिरालय (Bar )
शफ़ाख़ाना= अस्पताल (hospital ),शफ़ा = किनारा , जीवन का अंतिम भाग 



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