मैखाने में मस्त मलंग मिले
पैर कब्र में लेकिन दबंग मिले
हमने पूछा
इस उम्र में क्यों पीते हो इतनी ?
हस के बोले
हम तो सिर्फ जीते है जिंदगी अपनी
ये मैकदा नहीं शफ़ाख़ाना है
फ़रमाइशो का न कोई तानाबाना है
हमारा मकसद नशा नहीं
केवल मस्त शफ़ा पाना है ....
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मलंग =निश्चिंत व्यक्ति (carefree ),मैकदा =मदिरालय (Bar )
शफ़ाख़ाना= अस्पताल (hospital ),शफ़ा = किनारा , जीवन का अंतिम भाग
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