नारा लगाता हूँ
सांप्रदायिक होने का
तमगा पाता हूँ
मेरा नेता
जालीदार टोपी पहन
वोटो के लिए
जीभ लपलपाता है
बहुत बड़ा धर्मनिरपेक्ष
कहलाता है
हर मजहब
इंसानियत का ही
फर्ज समझाता है
इंसान तो इस जमीं पे
केवल इंसान
बन के आता है
सियासतदान ही उसे
हिन्दू -मुस्लिम बनाता है
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