Friday, 7 June 2013

लहरा के झूम-झूम के ला मुस्कुरा के ला
फूलों के रस में चाँद की किरने मिला के ला

न समझो कि हम पी गए पीते-पीते,
कि थोडा सा हम जी गए पीते-पीते.


हमें सीधी राहों ने रोका बहुत था,
कदम लड़खड़ा ही गए पीते-पीते.


नहीं देखे साकी न हमसे शराबी,
कि मैखाने में भी गए पीते-पीते.


किसीने पूछा के क्यूँ पी रहे हो,
के हँसके कहा पी गए पीते-पीते.


नशा हो तो क्या खौफ फिर मरने का,
के हम कब्र में भी पी गए पीते-पीते.

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