अहसान कौन
मानता मुल्क का
वो तो अपने इल्म के
गुरुर में जीते है
देने को और कुछ नहीं
तोहमतो के सिवाय
इनके पास
बस अपना मतलब निकाल
रुखसत यहाँ से
ये अहसान फरामोश हो लेते है
मानता मुल्क का
वो तो अपने इल्म के
गुरुर में जीते है
देने को और कुछ नहीं
तोहमतो के सिवाय
इनके पास
बस अपना मतलब निकाल
रुखसत यहाँ से
ये अहसान फरामोश हो लेते है
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