जब भी खुद को
खुदा सलामत रखे
साथ हमारा
अपने हर दिन को
उनके तजुर्बो से
रोशन पाता हूँ …
मुसीबत में पाता हूँ
अकेला पड़ जाता हूँ
अकेला पड़ जाता हूँ
पिताजी का हाथ
अपने कंधो पे पाता हूँ
अपनी नादानियो पे
कितना लजाता हूँ
लड़कपन में मिली
उनकी डांट की अहमियत
अब जान पाता हूँ
समझ में आता है हमारे
बचपन में क्यों सख्त था
मिजाज उनका
मिजाज उनका
जब रोजमर्रा की जिंदगी में
अपने को बेहतर पाता हूँ
खुदा सलामत रखे
साथ हमारा
अपने हर दिन को
उनके तजुर्बो से
रोशन पाता हूँ …
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