तुम्हारी शराफत
किस काम की
ये तो है बस
सिर्फ नाम की
मुल्क लुटता रहा
और तुम चुप रहे
हाथ पे हाथ धरे
बस बैठे रहे
यह दरबार जनता का है
जवाब तो देना होगा
कुछ न कुछ इल्जाम
तुमको अपने सर लेना होगा
कल जो तवारीख लिखी जाएगी
तुम्हारी इस खता के लिए
यक़ीनन तुमको भी
मुजरिम ठहरायेगी
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